Saturday 16 February 2013

बंदी के कगार पर रांची सन्मार्ग


     तीन माह से वेतन भुगतान नहीं

      सन्मार्ग का रांची संस्करण धीरे-धीरे बंदी की ओर बढ़ रहा है. कर्मचारियों
का वेतन फिर तीन माह बकाया हो गया है. अभी मुख्य संवाददाता से लेकर
संपादकीय व गैर सम्पादकीय विभाग के तमाम कर्मियों ने अपने तेवर तीखे कर
दिए हैं. ११ बजे की रिपोर्टर्स मीटिंग करीब एक सप्ताह से बंद है. संपादक
ने भी अपने हाथ खड़े कर दिए हैं. डाइरेक्टर प्रेम का कहना है कि सरकारी
विज्ञापन का पेमेंट मिलेगा तो वेतन भुगतान होगा. पेमेंट कब मिलेगा उन्हें
खुद नहीं मालूम. कई कर्मी बाहर से आये हैं. नियमित वेतन के बिना उनके
समक्ष भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गयी है. डाइरेक्टर उनकी कठिनाई सुनने
को तैयार नहीं हैं. वे कर्मियों पर विज्ञापन लाने का दबाव भी बना रहे
हैं. इस प्रकाशन से उर्दू और अंग्रेजी के भी अखबार निकलते हैं. सबका
डेस्क अलग-अलग है लेकिन रिपोर्टिंग टीम एक ही है. प्रबंधन का मुख्य
उद्देश्य सरकारी विज्ञापनों की लूट मचाना है. इसलिए वास्तविक प्रसार
संख्या भी सीमित रखा गया है. लिहाज़ा व्यावसायिक विज्ञापन नहीं के बराबर
मिलते हैं. डीएवीपी और आइपीआरडी के विज्ञापन मिलते तो हैं लेकिन उनके
भुगतान की कोई निश्चित तिथि नहीं होती. उनके भरोसे अखबार का स्थापना
खर्च.चलाना कठिन होता है. डाइरेक्टर प्रेम लाइजेनिंग और रियल स्टेट के
कारोबारी रहे हैं. मधु कोड़ा कांड में नाम आने के बाद बचाव के लिए अखबार
खोल था. उस समय पूंजी पर्याप्त थी. अब पुराने धंधे मन्द पद गए हैं.
प्रकाशन संस्थान के वित्तीय प्रबंधन का अनुभव नहीं होने के कारण मामला
फंस गया है.कुछ चाटुकार किस्म के शातिर सलाहकारों ने स्थिति को और बिगाड़
दिया. इस चक्कर में कर्मचारी मारे जा रहे हैं. सन्मार्ग के फ्रेंचाइजी की
अवधि मार्च में ख़त्म हो रही है. इसका रिनुअल करने के लिए भी धन की
ज़रूरत पड़ेगी. संभावना व्यक्त की जा रही है कि रिनुअल न कराकर अपने
उर्दू और अंग्रेजी अखबारों को चलायें और अपने ही बैनर से हिंदी का अखबार
शुरू करें. मीडिया के लाइन से अलग होना प्रेम के लिए आत्मघाती सौदा होगा.
ऐसा होने पर घोटाले की जांच कर रही एजेंसियों का दबाव बढ़ जायेगा. कल
क्या होगा कहना कठिन है लेकिन फिलहाल कर्मियों की समस्याएं गहराती जा रही
हैं. अधिकाश लोग विकल्प की तलाश में लगे हैं.पीड़ित कर्मी राज्यपाल के
सलाहकारों, ईपीऍफ़ और श्रमायुक्त के समक्ष गुहार लगाने की तैयारी में
हैं.